मेरे दिल की बात - ऐसी किस्मत Poem by rakesh gupta

मेरे दिल की बात - ऐसी किस्मत

Rating: 5.0

आज मैं फिर लिख रहा हूँ,
दर्द भरे मेरे दिल की बात.

माँ बाप दिए,
अच्छे संस्कार.
बच्चो में हो,
गए अहंकार.

खुशियां थी बहुत,
मेरे घर.
लगी किसी,
की नज़र.

बिखर गया,
हस्ता परिवार.
सभी हुए अलग,
नम हुई पालक.

सुना था मैंने,
प्यार होता अजीब.
अपनों को ले,
आता है करीब.

दिल में है,
कई अरमान.
माँ-बाप का,
करना है सम्मान.

करना चाहे दिल,
बहुत कुछ.
घर के बड़े ही,
गए है रूठ.

साथ लेकर चलो,
पापा कहते.
अपने आगे बढ़ने,
नहीं देते.

माँ-बाप, पत्नी का,
मिला प्यार.
पर भाइयों से नहीं,
मिला प्यार.

कहता है दिल,
राकेश डर मत.
अपनों से मिला,
तुझे ऐसी किस्मत.

- - - - -Rakesh Gupta (राकेश गुप्ता)

मेरे दिल की बात - ऐसी किस्मत
Tuesday, April 11, 2017
Topic(s) of this poem: sad love,sadness
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
जब अपने अलग हो जाये या फिर अपने साजिश करे तो बड़ा दुःख होता है.
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 11 April 2017

परिवार में सभी सदस्यों में आपसी प्यार की कमी से पैदा होने वाले हालात का प्रभावशाली चित्रण. धन्यवाद. बिखर गया / हँसता परिवार. सभी हुए अलग / नम हुई पलक.

1 0 Reply
Rakesh Gupta 11 April 2017

शुक्रिया रजनीशजी

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Geetha Jayakumar 11 April 2017

आपकी कविता प्यारी है बस दुखों से भरी है. आजकल कोई किसीको समझ नहीं पाया.

2 0 Reply
Rakesh Gupta 11 April 2017

शुक्रिया गीताजी

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