आज मैं फिर लिख रहा हूँ,
दर्द भरे मेरे दिल की बात.
माँ बाप दिए,
अच्छे संस्कार.
बच्चो में हो,
गए अहंकार.
खुशियां थी बहुत,
मेरे घर.
लगी किसी,
की नज़र.
बिखर गया,
हस्ता परिवार.
सभी हुए अलग,
नम हुई पालक.
सुना था मैंने,
प्यार होता अजीब.
अपनों को ले,
आता है करीब.
दिल में है,
कई अरमान.
माँ-बाप का,
करना है सम्मान.
करना चाहे दिल,
बहुत कुछ.
घर के बड़े ही,
गए है रूठ.
साथ लेकर चलो,
पापा कहते.
अपने आगे बढ़ने,
नहीं देते.
माँ-बाप, पत्नी का,
मिला प्यार.
पर भाइयों से नहीं,
मिला प्यार.
कहता है दिल,
राकेश डर मत.
अपनों से मिला,
तुझे ऐसी किस्मत.
- - - - -Rakesh Gupta (राकेश गुप्ता)
आपकी कविता प्यारी है बस दुखों से भरी है. आजकल कोई किसीको समझ नहीं पाया.
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परिवार में सभी सदस्यों में आपसी प्यार की कमी से पैदा होने वाले हालात का प्रभावशाली चित्रण. धन्यवाद. बिखर गया / हँसता परिवार. सभी हुए अलग / नम हुई पलक.
शुक्रिया रजनीशजी