वो फिर गुम हो गया Poem by abhilasha bhatt

वो फिर गुम हो गया

Rating: 5.0

वो फिर गुम हो गया
वापस उसी तरह से
जैसे वो कुछ वक्त पहले हो गया था
बयाँ ना कर सकूँ
ऐसे तमाम एहसास
मेरे आसपास गश्त लगा रहे हैं
कुछ झुन्झलाया हुआ
कुछ काँटों पर चलने सा
गला रून्धला रहा है
सिसकियाँ शुरू हो चुकी हैं
आँखें आँसुओं में डूब रहीं हैं
पलकों पर बोझ आगया है
दिल अब किसी उम्मीद पर
भरोसा नहीं करना चा रहा है
कईं बार भरोसा जो तोड़ा है उम्मीद ने
बड़ी बेतरबियत से बड़ी बेदिली से

Friday, May 5, 2017
Topic(s) of this poem: love and life,pain,separation
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 07 January 2018

Gham mein doobe dil ki dastan bakhubi bayan kar di aapne.......

0 0 Reply
Rajnish Manga 17 December 2017

भावनाओं की खूबसूरत अभिव्यक्ति. धन्यवाद, अभिलाषा जी.दिल अब किसी उम्मीद पर भरोसा नहीं करना चा रहा है कईं बार भरोसा जो तोड़ा है उम्मीद ने

1 0 Reply
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