तुमने तो हर वक्त खुद को मजबूत बनाया,
हर आंसू और दुखों से खुद को दूर भगाया|
तुमने इतनी बड़ी असफलता पाई है
हैरानी है तुम्हारे चेहरे पर बिल्कुल उदासी नहींछाई है|
क्या कमाल है तुम्हारा दिल,
इतना गहरा जैसे झील |
हार के बाद ये व्यंग मुस्कान,
मेरे लिए समझना था आसान|
कहां से लाई तुमने इतनी हिम्मत,
जो ना मिली किसी जन्नत|
पता नहीं कहां गया तुम्हारे चेहरे का गम,
पता है नहीं है ये शरीर का दम|
आंसू तो नहीं आया हिम्मत थी हजार,
ताकत तो नहीं है
कोई तुमसे लड़ ले इतनी है नहीं किसी में मजार|
तुमने दुनिया से नहीं खुद से लड़ दिखाया है,
हारे हुए को जीतना सिखाया है|
इतना खुलकर हंसना,
सबका तुम पर फसना,
ये बात ताजूक की थी,
पर यह बात मैंने देखी थी|
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A nice poem on human weakness one one hand human courage on the other to withstand.