तेरी यादों के सहारे मैंने Poem by Ahatisham Alam

तेरी यादों के सहारे मैंने

तेरी यादों के सहारे मैंने
पायी हर ख़ुशी अपनी
जीता जीने का मक़सद
पायी ज़िन्दगी अपनी

भूलना चाहूँ तो भला क्यों
तूने ही ये सिखाया मुझको
तेरी ही यादों ने इस उरूज तक
है पहुचाया मुझको।।।

Sunday, July 2, 2017
Topic(s) of this poem: love and art
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14 जून 2001
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