हमारे समस्त Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमारे समस्त

हमारे समस्त

मिलते नहीं हम अक्सर
फिर भी ज्यादा है असर
वो ही पुराने ख्याल
और वोही असली बोल।

दिन में मिलना बारबार
चेरा खुश हो जाता था कई बार
बाते तो करते थे दिल से
पर जुदाई का गम आते ही दुखी होते थे मन से।

बांटा हरदम अपना माहौल
सब करते थे किल्लोल
पता था अब नहीं मिलना होगा
जब भी होगा बिछड़ने का दिन होगा।

हम बिछड़े ही है
फिर भी दिल में बसे है
जब भी याद आती है
मन उदास सा होता है और मायूसी खलती है।

याद तो वो ही आते है
जिनको हम मानते है
अपना करीबी और हमदोस्त
आज भी है वो हमारे समस्त।

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 03 August 2017

welcome manisha mehta Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 02 August 2017

याद तो वो ही आते है जिनको हम मानते है अपना करीबी और हमदोस्त आज भी है वो हमारे समस्त।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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