हमारे समस्त
मिलते नहीं हम अक्सर
फिर भी ज्यादा है असर
वो ही पुराने ख्याल
और वोही असली बोल।
दिन में मिलना बारबार
चेरा खुश हो जाता था कई बार
बाते तो करते थे दिल से
पर जुदाई का गम आते ही दुखी होते थे मन से।
बांटा हरदम अपना माहौल
सब करते थे किल्लोल
पता था अब नहीं मिलना होगा
जब भी होगा बिछड़ने का दिन होगा।
हम बिछड़े ही है
फिर भी दिल में बसे है
जब भी याद आती है
मन उदास सा होता है और मायूसी खलती है।
याद तो वो ही आते है
जिनको हम मानते है
अपना करीबी और हमदोस्त
आज भी है वो हमारे समस्त।
याद तो वो ही आते है जिनको हम मानते है अपना करीबी और हमदोस्त आज भी है वो हमारे समस्त।
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welcome manisha mehta Like · Reply · 1 · Just now