मनसा है दुखी करना
जिंदगी सरकी जा रही है
धीरे से कान में समझा भी रही है
ना कर कल का इंतेझार
बस इशारे में ही समझ ले यार।
नहीं पकड़ सकते तुम समय के अनसार
वो तो कर देंगे आपको बीमार
यदि आप सोचने लगे बारबार
तो उसका हो यह अंतिम वार।
दुखी बिलकुल नहीं होना
भारी पड जाएगा वरना
बस विश्वास रखो और अपना काम करते रहो
जमाने के साथ कदम मिलाते रही।
मिटटी के साथ अच्छे सम्बन्ध रखो
उसीमे तो मिल जाना है सबको
बिता दो सुख के पल मिल झूलकर
रहो सुखी बस इंसान बनकर
नाही हमने गुलिस्तां को उझाडना चाहा
नहीं हमने किसी के लिए बुरा माना
बस लिख दिया नाम रेत के समंदर में
संतोष मान लिया अपने भीतर से।
नहीं रखना कोई समझौता
जो अपनों से दूर कर जाता
मुझे ऐसी मंझिल नही पाना
जो करे बंटवारा और जिसकी मनसा है दुखी करना।
चित्र: आशा शर्मा
नहीं रखना कोई समझौता जो अपनों से दूर कर जाता मुझे ऐसी मंझिल नही पाना जो करे बंटवारा और जिसकी मनसा है दुखी करना। चित्र: आशा शर्मा
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Aasha Sharma Comments Aasha Sharma Aasha Sharma Much appreciate Hasmukh Mehta Ji. Like · Reply · 1 · 4 mins