हम उनकी याद में मरे जा रहे हैं, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम उनकी याद में मरे जा रहे हैं,

हम उनकी याद में मरे जा रहे हैं,
लेकिन वे नजर कहीं नहीं आ रहे हैं,
कहीं मिल जायें यदि, कह बस देना,
आखिरी याद किये जा रहे हैं।
केवल कह देना बस उनको,
देखने को न कहना मुझको,
एक बार बस वे याद कर लें
बस यही चाहत जिये जा रहे हैं।
क्या करेंगे वे यहाँ आकर,
चाहता न छोड़ जाना रुलाकर,
युग -युग खुश रहें, मेरी धड़कन,
'नवीन'आखिरी साँस, यही कहे जा रहे हैं।

Friday, October 27, 2017
Topic(s) of this poem: love
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