आज पेट नहीं भरता Poem by Rinku Tiwari

आज पेट नहीं भरता

आज पेट नहीं भरता!
करता हूँ दिन रात काम,
लोगों ने दिया इनाम ।
देखा मैंने भी जहाँ,
अधिकारी माँगे भीख वहाँ
क्या आज पेट नहीं भरता?
आज एक ही है काम
कैसे हो खाने में नाम?
हर समय खाते लोग,
घेर रखा है पैसे का भोग ।
कोई लाख का खाता,
कोई करोड़ों उड़ाता
फिर भी उनके पेट न भरता ।
पेट है ऐसा,
जो बढ़ता रहता हमेशा ।
इसे जरूरत है भोजन की
रक्षा करो स्वाभिमान की ।

Saturday, December 16, 2017
Topic(s) of this poem: corruption
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