ये पल संवार लो Poem by Pushpa P Parjiea

ये पल संवार लो

ये एक पल है ये पलअभी ही थाम लो

वक़्तकबजायेगा हाथों से निकल , बस इतनापहचान लो

वक़्त के तकाजों की समझ, न समझ सकाहै आज तक कोई

वक़्त कैसा है जरा इसे पहचान लो .

कब लिबास बदल जायेकिस्मत के

इसकीमती पल का,इस बात को अबमान लो

पल में बदल जाती है लोगों की दुनिया

उस पल को अब तो पहचान लो.

कोई बने हैरंकसे राजातो.

कोई बने हैंराजा से रंक

एक पल ही तो है जो कभी सब,

दे जाये या सभी ले जाये ,

इस बात को अब मान लो

कभीखुशियांदेजाती है किस्मत,
तो कभी

खुशियाँ ले जाती है किस्मत

एइसे हवाओं केरुख कोअब जानलो।

एइसे हीस्नेह सरितामें डूबने के

लम्हे दिए हैंईश्वरनेगिन चुनकर,

मिले हुए लम्हों से तुमसिर्फ

आनंद औरखुशियों केलम्हों कोसंजो लो

न गवां देना इन लम्हों कोनफ़रत कीबंदगी से ,

बससारे जहाँकोस्नेहकी सरिता सेरसमग्नकर

वापस प्रेम उपहार लो

सड़े[पुरानेविचारों को अबनया लिबासदो

फैला दो चहुँ ओर उजियारा प्यारभरा

बह्मांडमें फैली अनंत अन्धकारमयी नफ़रत कीअग्नि कोप्यार की फुहार दो..

Sunday, January 14, 2018
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