अब तो हर शय मोहब्बत की
तेरी याद दिला जाती है
तश्ना आँखों को
जामे अश्क़ पिला जाती है
ज़िक्र तेरा हो न हो
हो जाता है
बात तेरी दिले आलम को
रुला जाती है।
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