वो खुशबू न जाने कहा खो गयी
जो तेरे होने से महसूस हुआ करती थी...
जहाँ शामें लिया करवटे..
और राते छूप छूप कर रोया करती थी...
जहाँ शाखों पर पत्ते और..
पत्तों पर नमी हुआ करती थी...
जहाँ चुभती धूप में भी..
तेरे जोबन से शीतलता झलकती थी...
ना जाने वो खुशबू कहाँ खो गयी..
जो तेरे पास होने से महसूस हुआ करती थी...
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