हे जातवेदा! करते आवाहन, करुणामयी पुरष्कारकारिणी।
सव^सुख समृद्धि सिद्धि अधिष्ठात्री, सुभग शीश सिन्दूर धारिणी।।
चन्द्र आभा सम सुशीतल आनन, सरसिज हार सुशोभिनीम्।
पीतवणा^ आनना महादेवि, बनिये मम उर गेह वासिनीम्।।
पद्मासनसँस्थिता महादेवि! हम करते आपका नमन।
मम हृदय कँज निवासी बनिए, "नवीन"सदा आपके शरण
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem