हे देवि! करते आवाहन, करुणा- कृपावर्षिणी,
सुख-वैभव ऐश्वर्य प्रदायिनी।
सकल सम्पत्ति अधिष्ठात्री महादेवी,
कनक माल मनहर धारिणी।।
आदित्य सम देदीप्यमान प्रभापुँज,
विद्युतवण^ दपदप चमकें दण्ड विमल।
"नवीन"निवास करें मम उर गृह,
हम सदा करते प्रणाम चरण-कमल।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem