तुम कहते हो हम पे ये, इल्जाम लगाना ठीक नही।
हम देशभक्त है देशभक्ति का, पाठ पढ़ाना ठीक नही।
तुमने तो इस कौम के खातिर, सेना को भी छोडा है।
मैं कहता हूं देश से पहले, कौम को लाना ठीक नही।
जो एक कुर्सी के खातिर, लाखो का खून बहाया हो।
जो दो धर्मो के बीचों बीच, नफरत की आग जलाया हो।
वो आदर्श तुम्हारा कैसे है, ये हमको भी समझाओ ना।
जो सत्ता के मद्द में चूर हुए, इस देश को ही बटवाया हो।
देश भक्ति का हर प्रमाण, तुम ऐसे ही दे जाते हो।
आतंकी का समर्थन कर, धर्म को बीच मे लाते हो ।
जिन्ना वाली सोचों को, भारत मे बढ़ाना ठीक नही।
मैं कहता हूं देश से पहले, कौम को लाना ठीक नही।
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A very very nice poem.