देश से पहले कोम को लाना ठीक नही। Poem by Prabhakr Anil

देश से पहले कोम को लाना ठीक नही।

तुम कहते हो हम पे ये, इल्जाम लगाना ठीक नही।
हम देशभक्त है देशभक्ति का, पाठ पढ़ाना ठीक नही।
तुमने तो इस कौम के खातिर, सेना को भी छोडा है।
मैं कहता हूं देश से पहले, कौम को लाना ठीक नही।

जो एक कुर्सी के खातिर, लाखो का खून बहाया हो।
जो दो धर्मो के बीचों बीच, नफरत की आग जलाया हो।
वो आदर्श तुम्हारा कैसे है, ये हमको भी समझाओ ना।
जो सत्ता के मद्द में चूर हुए, इस देश को ही बटवाया हो।

देश भक्ति का हर प्रमाण, तुम ऐसे ही दे जाते हो।
आतंकी का समर्थन कर, धर्म को बीच मे लाते हो ।
जिन्ना वाली सोचों को, भारत मे बढ़ाना ठीक नही।
मैं कहता हूं देश से पहले, कौम को लाना ठीक नही।

Saturday, May 26, 2018
Topic(s) of this poem: suffering
COMMENTS OF THE POEM
Abhipsa Panda 06 October 2018

A very very nice poem.

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Prabhakr Anil

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Kotwan, . Barhaj deoria up
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