"इंसान हे तू, इंसानियत का अर्थ समझ
अपने इतिहास को भूल, भविष्य की सोच
अब तो उठ, किये पापों का प्रायश्चित कर
अपने वयवहार रूपी माला मेँ इंसानियत की मोती पीरो
संत न सही इंसान तो बन
एक वक्त था, सतयुग का बोलबाला था
तूने ही अपने हाथो से पुण्य को सम्हाला था
पर आज कलयुग की मार हे
कलयुग का अन्धकार हे जिसमे लुप्त हुआ इंसान हे
आज तू हैवानियत की चादर को ओढ चूका हे
अपने बहत्तर के इंसान को तोड़ चूका हे
इंसानियत का अर्थ तू समझ जर्रूर लेना
बड़ो को आदर, छोटो को प्यार देना
अपने देश के प्रति, अपने कर्त्तव्य निभा लेना
अपने माँ बाप का क़र्ज़ चूका देना
अपने आप को एक दिन मूल रूपी इंसान जर्रूर बना लेना
आप भी समय हे, जाग जा
वरना तेरे भीतर का हैवान ही तुझे खा जाएगा
तू अपने हाथो ही अपने आप को मिटा जाएगा "
beautifully written..the essence of life amazingly woven in words. gr88 write..
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Wow really very beautiful words..I also respect your feelings about humanity.....👌👍