साकी! पिलाते रहना Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

साकी! पिलाते रहना

साकी! पिलाते रहना, जब तक मैं सो न जाऊँ,
चिंता कभी मत करना, पीते-पीते मर भी जाऊँ।

Friday, August 10, 2018
Topic(s) of this poem: love
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