हर्रफ जो लिखे कागज पर, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हर्रफ जो लिखे कागज पर,

हर्रफ जो लिखे कागज पर,
आँसुओं से धुल गये;
इसीलिए सादे कागज तुमको भेज दिये।
तुम भी अपने आँसू उसी पर गिरा लेना;
अपने दिल के अरमां वहीं मिला लेना।।

Friday, August 10, 2018
Topic(s) of this poem: love
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