दृढ विश्वास Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दृढ विश्वास

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दृढ विश्वास
रविवार, ७ अक्टूबर २०१८

वो ही रफ़्तार जो पहले थी
अब भी चालू है अनकही
ना ही कोई बदलाव है
और नहीं कोई रुकाव है।

हम तो चाहते है ऐसे ही हाल बना रहे
जैसे गंगा में पानी बहता रहे
बस अमन, चैन अपनी जगह कायम रहे
हमारा नाम सूचि में हमेशा अच्छा बना रहे।

ना किसी तरह की बढोत्तरी हुई है
और नाही किसी तरहकी कमी महसूस हो रही है
जीवन सुख चैन से कटता रहे
सब से परिचय बढे और दृढ विशवास बना रहे।

जीवन में मानसिक दरिद्रता कभी ना आए
आर्थिक संकट दिल को कभी ना गभराए
जीवन में धूपछांव भले ही आती जाती रहे
पर मुकाबला करने की दृढ़ता बनी रहे।

पश्चाताप करने वाली बात का उद्भव ही नाहो
सब को रामराम करने की भावना हमेशा हो
कटुभावना और संदेह जीवन को बर्बाद ना करे
ऐसी पले बारबार ना आए और जीवन को आबाद रखे।

हसमुख अमथालाल मेहता

दृढ विश्वास
Sunday, October 7, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 October 2018

पश्चाताप करने वाली बात का उद्भव ही नाहो सब को रामराम करने की भावना हमेशा हो कटुभावना और संदेह जीवन को बर्बाद ना करे ऐसी पले बारबार ना आए और जीवन को आबाद रखे। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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