छम-छम ठुंमकेलीं वर्षा महारानी.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
मंह-मंह-मंह मंहकेले सोंधी-सोंधी मटिया.
अब त किसनवन जागी किस्मतिया.
होई खूब जम के किसानी.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
वन-बाग़ उपवन में कुहकी कोयलिया.
फुलवा के भार से झुकि जाई डरिया.
लहराई धरती चुनर धानी.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
रंग लाई मोरे बलमा क सपनवा.
लहराई खेतवा में लहर-लहर धनवाँ.
सुखी होइहें पशु अउर परानी.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
हँसत मुसकात कूदत अइहें मोरे सइयाँ.
गरवा में डालि लिहें गोरी-गोरी बहियाँ.
प्यार बलमा क कइसे हो बखानीं.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
भरि जइहें पनिया से ताल अउर तलईया.
मनवाँ क मोर नाची बहँकी कलईया.
आ गईलीं बदरी सुहानी.
रिमझिम खेतवा में बरसे सोना-चानी.
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Beshak barsat aur kisan ka ek ajeeb rishta hota hai aur aapne is kavita mein badi hi khubsurati se usko lika hai...
Thanks brother, thanks a lot for your valuable comment.