दीप दिल में जलाओ Poem by Upendra Singh 'suman'

दीप दिल में जलाओ

Rating: 5.0

दीप दिल में जलाओ तो कोई बात बने.
अँधेरे मन के मिटाओ तो कोई बात बने.

दुश्मनी देती नहीं कुछ भी बर्बादी के सिवा.
हाथ दोस्ती के बढ़ाओ तो कोई बात बने.

यूँ तो बात करते हो तुम अच्छी बहुत अच्छी.
मगर करके दिखाओ तो कोई बात बने.

ज़िस्त छोटी है बहुत हंसने-मुस्कराने के लिए.
वक्त अब भी है लौट आओ तो कोई बात बने.

अंदाज बागिओं का हथियार लिए फिरते हो.
किसी रोते को हँसाओ तो कोई बात बने.

इक प्यार की गंगा इस दुनियाँ में बहानी है।
किसी भगीरथ को मनाओ तो कोई बात बने।

अँधेरे की सियासत से बचना जरूरी है 'सुमन'।
हौसला जुगनू सा जगाओ तो कोई बात बने।

ये पैगामे मोहब्बत कोई मिन्नत नहीं ‘सुमन'.
ग़र ये बात समझ जाओ तो कोई बात बने.

Saturday, November 10, 2018
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COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 10 November 2018

It reminded me a famous song पोंछ कर अश्क़ अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने सर झुकाने से कुछ नहीं होग सर उठाओ तो कोई बात बने

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M Asim Nehal 10 November 2018

Wah wah kya baat hai.....10+++++ ये पैगामे मोहब्बत कोई मिन्नत नहीं ‘सुमन'. ग़र ये बात समझ जाओ तो कोई बात बने.

0 0 Reply
M Asim Nehal 10 November 2018

Wah wah kya baat hai.....10+++++ ये पैगामे मोहब्बत कोई मिन्नत नहीं ‘सुमन'. ग़र ये बात समझ जाओ तो कोई बात बने.

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