यदि ख़ुदा मिल जाये, करुँगा मैं अर्ज, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

यदि ख़ुदा मिल जाये, करुँगा मैं अर्ज,

यदि ख़ुदा मिल जाये, करुँगा मैं अर्ज,
मुहब्बत करनेवालों के लिए तुम्हारा फर्ज,
उनके नाम पर उत्सव -मेला लगाया जाए,
और तुम्हें ही केवल गुनहगार बनाया जाए।

सबसे ज्यादा तुम्हारे लिए लोग मरते हैं,
तेरे ही लिए केवल भीड़ लगाए रहते हैं,
तुम सुनते नहीं, क्यों तुमको छोड़ा जाये,
सरेआम सबके सामने सजा सुनाया जाये।

Wednesday, November 21, 2018
Topic(s) of this poem: love
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