मोहब्बत में जो है टूटा हुआ दिल
उसकी एक नहीं, हैं कई मन्ज़िल
किसी ने तन्हाई पसंद की
तो कोई पागल आवारा हुआ
कोई ऐसा भी जिसे दुनियाँ में
सिर्फ़ ख़्वाबों का सहारा हुआ
कोई दर्द में घुट घुट के जीता
तो किसी का कुछ अलग बयाने ग़म हुआ
कोई शायर बन के यादों में जीने लगा
तो कोई आज ये 'आलम' हुआ।
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Nice and touching, a beautiful poem.