कभी जो तेरा था दिल दुखाया Poem by Ahatisham Alam

कभी जो तेरा था दिल दुखाया

कभी जो तेरा था दिल दुखाया
लो दुख रहा मेरा भी दिल अब तो
वो जो फ़ैसला किया था तुमने
वही है मेरी भी मन्ज़िल अब तो

तुम्हारी वफ़ा को समझता था मैं
फ़िर भी राहें बदलनी पड़ी थी
अजब तमाशा है ज़िन्दगी का
कि जैसे मुझको सज़ा मिली हो
मौज में दरिया भँवर में कश्ती
और खो चुका है साहिल अब तो
कभी जो तेरा था दिल दुखाया
लो दुख रहा मेरा भी दिल अब तो।

Friday, January 18, 2019
Topic(s) of this poem: love
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