ये मैं ख़्वाब देखता हूँ
कि तू मेरा हमसफ़र है
जो हुआ फ़ना ये आलम
तेरी याद का असर है।
ये यक़ीन ना था मुझको
कि तुम होगे दूर मुझसे
बस तेरी एक कमी से
वीरान दिल का घर है।
जो हुआ फ़ना ये आलम
तेरी याद का असर है।
वो कहाँ पे जा रहा था
वो कहाँ पे आ गया है
ये कौन सा नगर है
ये कौन सी डगर है
जो हुआ फ़ना ये आलम
तेरी याद का असर है।
वो जो मुस्करा रहा था
वो चोट खा गया है
ये कैसा हाले पस्ती
लगी किसकी ये नज़र है
जो हुआ फ़ना ये आलम
तेरी याद का असर है।
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