नई राह Poem by Samar Sudha

नई राह

"जब बातों में गहराई ना हो,

जब मेहनत से कमाई ना हो"



"जब आसानी से मुश्किलें हल ना हो,

जब खा़मोशी में बल ना हो"



"जब सर्द में सर्दी ना हो,

जब बर्फ से भी ग्रमी हो"



"जब सूरज भी गर्म ना लगे

जब रात भर लोग जगे"



"जब ख्वाब ना हो आंखों में,

जब दर्द भरा हो संासो में"



"जब कर्म अधूरा रह जाए,

जब ठोकर; पथ्र से ठोकर खाए"



"जब साया; खुद का साया ढूंढे,

जब बारिश में ना बरसे बूंदे"



"तब एक सवाल पूछेंगे,

जीवन की एक नई राह ढूंढेगे ।



-Samar Sudha

Friday, February 15, 2019
Topic(s) of this poem: lifestyle,thoughts
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