मारा गया Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मारा गया

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मारा गया
सोमवार, १८ फरवरी २०१९

आज खूंखार आतंकवादी गाज़ी मारा गया
जिसने खूब आतंक मचाया
लश्कर उसे पीछे ही था
बस भारत की धरतीपर ही उसे मरना था।

पता नहीं उन्हें क्या मजा आ रहा है?
धर्म के नाम पर धरती हड़पना चाहते है
सरहदपर तनाव का माहौल बना है
और आए दिन उसपार से गोलीबारी चलती रहती है।

देश के जवान यूँही बलिदान दे रहे है
हमारी धीरज का इम्तेहान ले रहे है
बहुत हद करदी अब तो उन्होंने
अब बहुत बह गया है पानी सर के ऊपर से।

आतंकवाद का मानो कोई धर्म नहीं
पर उन्हें तो इस से कोई शर्म नहीं
हमारे कहने का वो मर्म समझते ही नहीं
पर हम लगातार उन्हें अलगथलग करते रहे है।

आज एक सपना साकार हुआ
आतंकवादियों का सफाया हुआ
उनका मुख्य आतंकवादी मारा गया
देश के लोगों को सुख का एहसास कराता गया।

हसमुख मेहता

मारा गया
Monday, February 18, 2019
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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