मुहब्बत की मशाल जल गई ऐसी Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

मुहब्बत की मशाल जल गई ऐसी

मुहब्बत की मशाल जल गई ऐसी
कि हम तेरे बिना न रह पाते हैं,
याद तो रहते सदा, आँखें भी भर जाते हैं।

Saturday, April 27, 2019
Topic(s) of this poem: love
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