"फ्लाई ओवर के नीचे"
फ्लाई ओवर के ऊपर,
फर्राटा भरती आधुनिकता को,
नहीं पता नीचे भी,
जिंदगी पल रही है,
कभी-कभार नीचे देखते भी हैं,
तो मात्र थूकने के लिए।
इस पल रही जिंदगी को भी नहीं पता,
भारत का एक संविधान है,
नागरिकों के मौलिक अधिकार हैं,
उनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड
और वोटिंग का अधिकार है,
वो तो सरकारे बनाने व गिराने का काम भी करते हैं।
इनको तो सिर्फ और सिर्फ
अपने जीने व मरने का पता है।
पेट भरने के लिए काफी है,
डस्टबिन में पड़ा कांच या प्लास्टिक का कचरा।
कचरा बीनना, बेचना
इकट्ठा करना इन्हें बखूबी आता है।
इसके लिए न क्यू में खड़ा होना,
आधुनिकता द्वारा फेंके जाने वाले कचरे का इंतजार ही काफी है।
नशे का व्यापार हो,
या कोई अवैध कारोबार,
चुटकी बजाते ही,
उसे कर डालने में माहिर।
फ्लाई ओवर के नीचे बसा संसार,
वास्तव में एक अद्भुत संसार है,
जहाँ आज तक आधुनिक भारत से,
विकास की एक किरण भी नहीं पहुंची।
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Bahut sundar. Dil ko chun lene wali kabita. na jane kab sarkar ki aankh kholegi.