प्रज्ञानरुप आत्मा ही ब्रह्म इन्द्र प्रजापति अग्नि आदि सारे देव। Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

प्रज्ञानरुप आत्मा ही ब्रह्म इन्द्र प्रजापति अग्नि आदि सारे देव।

प्रज्ञानरुप आत्मा ही ब्रह्म इन्द्र प्रजापति अग्नि आदि सारे देव।
पृथ्वी वायु आकाश जल तेज, क्षुद्र जीव सहित कारणदेव।।
अण्डज, जरायुज, स्वेदज, उद्भिज, कअश्व गो मनुज, हस्ति वर्ग।
पदचर नभचर स्थावर वृक्ष पव^त आदि प्राणी वर्ग।।

Thursday, July 11, 2019
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success