हम तुम्हारे नाम जो गालियाँ देते हैं, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम तुम्हारे नाम जो गालियाँ देते हैं,

हम तुम्हारे नाम जो गालियाँ देते हैं,
इसी बहाने तुम्हारे नाम लेते हैं;
सूकूँ मिलता दिल को नाम लेते ही,
तेरे रुप दिल में आकर मिल लेते हैं।

Tuesday, July 23, 2019
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success