लिख जाती लेखनी,
खुद-ब-खुद,
जब ख्याल आ जाते घने,
मन की दीवालों पर,
उतर जाते आँसू आँखों में,
किसी की याद आ जाने पर
या
चुभ जाता दिल,
किसी बात पर,
जो अनहोना अटपटा सा लगता,
वीरान सुनसान लगता,
कहीं कोई अपना नजर नहीं आता,
कैसे कहें किसी को दिल की बात,
जो लग जाता घात,
तनहाई खोजता दिल,
ख्याल आ जाते,
उमड़ -घुमड़ जाते,
दिल मरोड़ जाते,
तब उठ जाते हाथ,
कोई भी न साथ,
बिलकुल अनाथ,
मन ढूँढता अक्षर,
भाव भी अ -क्षर,
लेखनी जाती उमड़,
कुछ कहती, कुछ भूल जाती,
कितना किसे सुनायें,
किसके सामने गायें,
बदन सुस्त, मन भी न चुस्त,
जो कुछ लिखा,
बह जाता,
आँसुओं के संसर्ग मेंं,
न कुछ बच रहा अवशेष,
जब जीवन ही नि: शेष।
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