ख़बर बनाने वाले ख़ुद ख़बर बन जायेंगे सोचा न था.
अब ये भी शलाखों के बीच नज़र आयेंगे सोचा न था
तहलका के तरुण तेजपाल ने कैसा प्रकाश किया हैं
कलम के सिपाही भी मक्कार कहलायेंगे सोचा न था.
- sanjay amaan
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem