इस सदी का महाभयंकर रूप जिसने देखा है,
मैंने उससे पूछा कि वो बताओ कैसा है;
बोल उसके फुट पड़े जब बात मैंने यह कही,
सर सरिता आसुओं की आँख से बहने लगी;
कपकपाते बोल उसके कह रहे थे हे मनु,
महाप्रलय ही इस सदी का है भयंकर रूप जैसा;
हर तरफ होगी समस्या खुद के ही विश्वास कि,
कौन है अपना यहाँ और कौन है अपना नहीं;
शंका संशय और समस्या घेरे है सबको खड़ी,
नीले अम्बर के तले भी प्राणवायु कि कमी;
चांदनी कि शीत से भी आँख में निद्रा नहीं,
हर तरह के युद्ध का होगा एक परिणाम ही;
पशुओं से ज्यादा नर को होगी प्यास नर के रक्त की,
दिख रही तस्वीर मुझको आने वाले वक़्त की;
इस सदी का रूप बिलकुल होनेवाला ऐसा है,
मैंने उससे पूछा कि वो बताओ कैसा है;
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Neele Amber ke tale bhi pran vayu ki kami, Chandni ki sheet se bhi aankh mein nidra nahin, Pashuon se zeyadah nar ko ho gi peyas nar ke rakt ki, Dikh rahi tasveer mujhko aane wale waqt ki. Yeh kavita hirday ki gahraion mei utri hay keyunke yeh likhi bhi gayee hay hirday ki gahraion se.......10