ख्वाबों की सीढ़ी पर चढ़कर
चाँद को लटका आया हूँ
तुम्हारी खिड़की पर
ज़रा झाँककर तो देखो
आसमान से टपकने वाला होगा
शायद गिर जाएगा
तुम्हारे ही आँगन में
हथेलियाँ खोलकर रखना
कहीं कोई और न लपक ले जाए
कोई और ले गया तो
शिकायत न करना
कि एक आरज़ू थी
वही अधूरी रही
***
Wah wah.... मै जानता हूँ, किसी के हाथ नहीं आएगा " ये चाँद का टुकड़ा " ये आरज़ू अधूरी ही रहेगी. बहुत उम्दा आरज़ू जगा दी आपने, धन्यवाद 10++++
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इस आरजू के साथ जी रही हूँ अगर मिल जाये तुम्हारा थोड़ा सा साथ जीवन मेरा सँवर जाये फिर बन फूल तुम्हारे आँगन मे बिखर जाऊँगी चारो तरफ खुशबू फैला जाऊँगी Rated 10++