ऐ देश को नोंच नोंच कर खाने वालों,
ऐ हिन्दुस्तान को छोटी- छोटी जाती के,
टुकड़ों में बांटने वालों,
होश में आओ,
आरक्षण का गन्दा खेल बंद करो |
शर्म आती है तुम्हारी राजनीतिक व्यवस्था पर,
६० साल बाद भी, तुम इन्हें मुख्या धारा से नहीं जोड़ पाये |
अगर इनकी इतनी ही फिक्र है तो इन्हें सुविधाएँ दो,
रोटी, कपडा, माकन, मुहय्या कराओ.
इनका जीवन स्तर सुधारो,
कम बुद्धी वालों को, बुद्धीमानों के साथ या उनसे ऊपर मत बैठाओ |
इनको डाक्टर, इंजीनियर की डिग्री देकर देश का बेडा गर्क मत करो |
तुम इंसान को इंसान ही रहने दो,
मत किसी को हिन्दू, मुसलमान, एस सी / एस टी/ ओबीसी /गूजर बनाओ |
देश के होनहारों, बुद्धीमानों की परीक्षा मत लो |
इनकी अहिंसा को, कमजोरी मानने की भूल मत कर बैठना,
इनमे सुकरात-सा निष्चय और भगत सिंह जैसा होंसला है,
अगर प्यार की भाषा समझ नहीं आयी तो,
होशियार!
लादेन बनना मजबूरी नहीं,
इनकी जरुरत होगी
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