हम एक जिंदगी हार गए
ना डूबे ना उस पार गए
हम अपनी धुन में रहते थे
ना सुनते थे बस कहते थे
अब एक चमन को तरसे हैं
तब ठुकराते संसार गए
हम एक जिंदगी हार गए
दो चार ठोकरों ने हमको
ग्यान दिया मेटा तम को
हारे हुए खिलाड़ी से हम
उठ कर कितनी बार गए
हम एक जिंदगी हार गए
क्या जीवन की परिभाषा है
क्या आशा और निराशा है
जग में केवल छल मिलता पर
हम सदा बाँटते प्यार गए
हम भले जिंदगी हार गए
जो हम पर जान छिड़कते थे
हम उनसे कटते फिरते थे
हँस कर जिनसे गले मिले
वो पीठ में खंजर मार गए
अब लड़ना और झगड़ना क्या
झुकना पैर पकड़ना क्या
वो आगे से मुस्काए, पर
पीछे से खंजर मार गए
हम नासमझी में अच्छे थे
भोले थे लेकिन सच्चे थे
अब दादी को बतलाएँ क्या?
बदल सभी अशआर गए
ना डूबे ना उस पार गए
हम एक जिंदगी हार गए
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Another beautiful gem.....Kya jevan ki paribhasha hai, Kya asha aur nirasha hai