आज मेरे प्यार को
महकती बयार को
खुशनुमा बहार को
कौन लूटने चला
खून सने फूल हैं
उफन रहे कूल हैं
उखड़ रहे चूल हैं
आज शांति के नगर
आ गया है जलजला
कौन लूटने चला
गले पड़ा हार है
पीठ पर प्रहार है
ह्रदय तार तार है
लड़ रहा हूँ रोज मैं
एक नया करबला
कौन लूटने चला
हाथ हाथ में दिए
प्रणय के वचन लिए
प्राण किंतु हर लिए
घात औ प्रतिघात का
अनवरत है सिलसिला
कौन लूटने चला
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