मैं नही जानता दर्शन क्या है
मुझमे जिजिविषा है
मै कठोर ह्रदय वाला हूँ
मगर
मैं ढल सकता था
तुम्हारी कल्पना मे
पर अब मुझे गढ़ा नही जा सकता
मैं पाँजे का पत्थर नहीं हूँ
सिर्फ घिसने वाला
मरने वाला
पत्थर
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