ईद मुबारक हो Poem by NADIR HASNAIN

ईद मुबारक हो

ईद मुबारक हो सभी को ईद मुबारक हो
ख़ुशी की ताज़ा किरण खिली ख़ुर्शीद मुबारक हो
माफ़ करो और माफ़ी मांगो छोटे बड़े गुनाहों से
ऐसा कुछ करजाओ जो दुःख दर्द निवारक हो
ईद मुबारक हो सभी को ईद मुबारक हो

शीर ख़ोरमा दूध सेवइयां खाओ और खिलाओ
पहनो कपड़े नए नए और इत्र भी खूब लगाओ
बोग्ज़-व-नफ़रत कीना ग़ुस्सा ख़ुद से दूर भगाओ
क़दम बढ़ा कर आगे आओ सबको गले लगाओ
ग़ुरबाओं और मिस्कीनों का रखना ख़ास ख़याल
काम ना करना ऐसा कुछ भी दिल में रहे मलाल
ख़ुदा की रहमत क़ुरबत और तौहीद मुबारक हो
ईद मुबारक हो सभी को ईद मुबारक हो

: नादिर हसनैन

ईद मुबारक हो
Saturday, June 24, 2017
Topic(s) of this poem: love and friendship
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