Poem by Sahil Haar gya

तुझे कब्र पर मेरी आने का शोंक नही,
तुझे ज़्नाज़े पर मेरे जाने का शोंक नही,
हम बता दे तुझे इक बात हसिना ,
ये वक्त अब शोंक पुरा करने का नही...

तु ढूनढेगी मुझको,
इन गलीयो मे कही,
हम पायेन्गे तुझे,
मेरी कब्र पर वही......

तु लाख मना कर ले आने को याहा,
छुप जा तु जाकर घर मे काहा,
ये कब्र है मेरी,
कोई तालाब नही,
रोयेगी हसिना तु,
पर जायेगी नही,

कफन मे आये थे हम याहा,
तुझे देखा था हमने आते याहा,
मै रुठा हू तुझ से,
तु मनायेगी नही.....


तु लाख मना कर ले,
तु आयेगी यंही,
तु रोयेगी हसीना ,
पर जायेगी नही........... Sahil

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