Yaad Poem by Sahil Haar gya

Yaad

Rating: 5.0

हाँ मुझे किसी की याद नही आती...
दिल त्न्हाई मे है पर याद नही आती..
रोता हू अक्सर अकेले मे मै..
वो कहते है मुझे याद नही आती...
.
.
.उन ल्म्हो को सोचकर जीता हूँ मै..
ये रुलाते है ल्म्हे पर हस्ता हूँ मै...
कोई साथ नही मेरे.. क्या त्न्हाई नही आती..
हाँ खामोश हू मै ...बस याद नही आती..
.
.
.छुपाने की तो आदत है मेरी...
पल्को पर आँसू शिकायत है तेरी..
तुझे कुछ कहू तो तू रो देती है माँ..
बता कोई कैसे कह दे तेरी याद नही आती..
.
.मत पूछ क्यू तेरी याद नही आती.. मत पूछ

COMMENTS OF THE POEM
Kavita Singh 07 September 2016

छुपाने की तो आदत है मेरी...haan mujhe kisi ki yaad nhi aati....nice poem

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