A-023. कभी लौट के आना Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-023. कभी लौट के आना

कभी लौट के आना 13.3.16—6.43 PM

कभी लौट के आना मेरी जिन्दगी में
एक एक पल, का हिसाब मिलेगा

कितना तनहा कितना बेकरार हुआ
हर पल, और हर बार मिलेगा

तेरे बिना जिन्दगी क्यों इतनी बंझर हुई
हर पल, तुमको बेनकाब मिलेगा

बहुत ढूँढा तुमको तेरे जाने के बाद
इसका एक एक, सवाल मिलेगा

लहू जो निकला उस हसरत तक
इसका एक एक, निशान मिलेगा

लिखना मज़बूरी रही इस हादसे की
वरना जिक्र, भी कभी कभार मिलेगा

गर तूँ लौट के न आयी इस जिंदगी में
हर गली नुक्कड़ पे, इश्तिहार मिलेगा

मत भूल कि तूँ ही मेरी कविता है
इसका भी तुमको खिताब मिलेगा

मत बन मुखबिर तूँ इस हादसे की
'पाली' भी तुमको जार जार मिलेगा

कभी लौट के आना मेरी जिन्दगी में
एक एक पल का हिसाब मिलेगा..…..

एक एक पल का हिसाब मिलेगा

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-023. कभी लौट के आना
Sunday, March 13, 2016
Topic(s) of this poem: break up,love and friendship
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success