क्या रखा है -13.9.15—10.32 AM
क्या रखा है
मंदिर और गुरुद्वारों में
मस्जिद की चार मीनारों में
चर्च की सभागारों में
उनकी प्राचीन दीवारों में
क्या रखा है
नमन और नमस्कारों में
पूजा पाठ कर हज़ारों में
दान दक्षिणा और उनके नारों में
धागों और पेड़ों के अवतारों में
मन्नतों और उनके उतारों में
प्रसाद भंडारे के निपटारों में
क्या रखा है
परिक्रमा के फेरों में
गुफाओं के अँधेरों में
शिलाओं के मुंडेरों में
टीका चन्दन कर बहुतेरों में
क्या रखा है
क्या रखा है
संतों के डेरों में
प्रवचनों के ढेरोँ में
उनके सहज सवभाव में
उनके चरणों पर झुकाव में
क्या रखा है
मस्जिद की चार मीनारों में
उसकी रंगीन दीवारों में
उनके पाक इरादों में
कुरान की पवित्र आयातों में
नमाज़ की खासी तहजीब में
उनकी बताई तरतीब में
क्या रखा है
चादर चढ़े हजारों में
खड़े रहो कतारों में
ताबीजों के मंत्र पहाड़ों में
झाड़ फूँक और निपटारों में
मन्नतें मानो हज़ारों में
क्या रखा है
चर्च की दीवारों में
उसकी सभागारों में
वादों और चमत्कारों में
गिनती हो हजारों में
बैठ सुन्दर कतारों में
प्रार्थना की पुकारों में
क्या रखा है
बस वही रखा है
जो तेरा विश्वास है
हर एक जीव हर एक इंसान
उसके लिए खास है
मत कर भेद नस्लों का
बस मात्र यही तो विनाश है
Poet; Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
सब व्यक्तियों के पूजापाठ विधान में अंतर हो सकता है लेकिन उस परम सत्ता के लिये हर व्यक्ति समान है, कोई छोटा या बड़ा नहीं है. सब उसकी कृपा के बराबर के हकदार हैं. शंका और समाधान का सुंदर प्रयास.
Thanks you so much for your wonderful comments & rating me 10