A-002. आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-002. आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

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आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है-18-4-15-7: 29 AM

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
पलकें नीचें हैं, थोड़ी घबराई है
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

मेरी कविता का आना कोई अक्स्माती नहीं है
कई तूफानों के घेरे और कोई वाकिफ नहीं है
पता नहीं कितने थपेड़े वो सहती आई है
कितनी चोटें खा कर फिर भी मुस्कराई है

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

एक कदम उसने जब मेरी और बढ़ाया है
मन उसका एक बार तो बहुत घबराया है
घबराहट भी दिखती है उसके पसीने में
बेचैनी भी नज़र आती है उसके सीने में

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

आ जाऊँ अब पूछती है, पर्दा कर इशारे से
कोई देख न ले, मर न जाऊँ शर्म के मारे से
तुम क्या जानो, जानू, लज्जा क्या चीज़ होती है
औरत का एक ही तो धन है, जब वो करीब होती है

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

उसको देख कर तो चाँद भी मुस्कुराया है
वो संगीत, वो नगमा, बस आया की आया है
क्या करेगी वहां किसी की पायल की झंकार
खुदा खुद.. जहाँ अपनी सुध बुध खोकर आया है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

गज़ब का शरूर है उसकी निगाहों में
उसका देखना, चले आना मेरी बाहों में
बाहों में आना भी बना एक अफ़साना है
पता है क्यों, क्यूंकि ये रिश्ता बहुत पुराना है

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

बाहों में आना फिर समाना और फिर भूल जाना
सीने से लगी, और उसकी निगाहों का नम होते जाना
धीरे से फिर पलकों को ऊपर उठाना और बताना
मुक्कों से गुस्से का इज़हार कर कहना और न सताना

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है

आज मुझे एहसास हुआ इसके तनहा होने का
इसकी तड़प, इसका दर्द, इसके आंसू पिरोने का
कभी जाना ही नहीं की करीबी किसको कहते हैं
किसके संग रहना है और किसके संग रहते हैं

खो ही जाती मेरी कविता दुनिया के मेले में
शुक्र है खुदा का मिल गयी मुझे अकेले में
इसका मिलना और ये तोहफा जैसे कोई हसीना है
मेरे दिल की बात करो ये भी कितना….. कमीना है

आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
पलकें नीचे हैं, थोड़ी घबराई है
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
Poet: Amrit Pal Singh Gogia

A-002. आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
Thursday, February 25, 2016
Topic(s) of this poem: love and dreams
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
I was passionate about writing poems but i was stopped 44 years ago due to death of my father and now after 44 years it came to me & it is my first poetry after 44 years.
COMMENTS OF THE POEM
akashdeep singh sidhu 27 January 2018

sir you are awesome nd your poems is superb

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Savita Tyagi 06 May 2017

Lovely poem. Glad you found your passion again.

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Thank you so much for your appreciation. You inspired me. Gogia

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Anu Chandel 18 April 2017

Sat Shree akal Sir....! ! ! Look at the date of your first poem.....Today is your date of interview with all India radio...And date is 18-4-17...... Total two years......

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Dear Anu, Thank you so much for reminding me that it is complete two years. Yesterday I didn't realise during my interview. It is an another mile stone of my life. I can say I am blessed.

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Another thing! Yesterday we were looking for the second song used for the lyric of Song composed and sung by Jagjit Malsihan are A-202 तेरा दिल मुझमें धड़कता है 15.10.16—11.27AM (Not in Book) A-13 डर लगता है तेरे पास 24.4.15- 4.15AM

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Anil Kumar Panda 11 February 2017

Beautiful poem. Each stanza gives a feeling of newness of love as i go on to the end. Thanks for sharing Sir.

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Amrit Pal Singh Gogia 12 February 2017

Thank you so much for your wonderful comments! I appreciate! You inspired me! Gogia

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Abhilasha Bhatt 28 February 2016

Tremendous......Wonderfully narrated poem with the ink of heart from the pen of emotions......Really amazing......thank you for this sweet and beautiful sharing :)

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