A-085. तेरे होने का एहसास Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-085. तेरे होने का एहसास

तेरे होने का एहसास 7.3.16—3.45 AM

तेरे होने का एहसास
क्यूँ करवटें बदलता है
लिहाजा प्यार अभी जिन्दा है
तेरे जाने के बाद

दिले रूह भी अक्सर
काँप काँप जाती है
लिहाजा खौफ भी जिन्दा है
तेरे जाने के बाद

रास्ते जिंदगी के कई
रुक गए हैं कहीं
लिहाजा जिक्र भी तेरा है
तेरे पलट जाने के बाद

अश्क़ भी अक्सर
यूँ थम थम के आते हैं
लिहाजा तेरी मौजूदगी में
तेरा गरूर भी जग जाने के बाद

मौत भी इतनी तत्त्पर है
मेरे करीब आने को
लिहाजा मौत भी जिन्दा है
तेरे जाने के बाद

पाली अब और न जिक्र कर
इन तन्हाईओं का
लिहाजा तूँ भी पलट जा
इन रुस्वायिओं में दम आने के बाद ………
दम आने के बाद ………

Sunday, March 6, 2016
Topic(s) of this poem: romantic
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