A-097 मन न जाने Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-097 मन न जाने

A-097 मन न जाने अब कहाँ खो गया-29-6-15—5: 50 AM

मेरा मन न जाने कहाँ खो गया है
हंसीं ख्यालों संग तेरा हो गया है
घूम रहा अवारा बादलों के संग
बड़ी मौज मस्ती और बड़ी उमंग

कहीं बादलों से मिली गड़गड़ाहट
कही बिजली कड़कने की आहट
कही बारिश की बौछारों का शोर
कहीं बौछारों से हो रहे भाव भिवोर

Sunday, January 21, 2018
Topic(s) of this poem: nature love
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