तेरे अंजुमन में 7.3.16—8.09 AM
तेरे अंजुमन में ख़ामोशी का यह आलम
लोग तन्हा हैं या दिल लगाये बैठे है
कुछ हँसते मुस्कराते कुछ गीत गाते
कुछ चेहरा छुपाये बैठे हैं
कुछ लोट पोट कुछ एकदम बेहोश
कुछ चेहरा चढ़ाये बैठे हैं
कमर लचके और होश नहीं जिनको
वो भी कुछ दर्द छुपाये बैठे हैं
मुजरा कर दुनिया को रिझाते हैं जो
वो भी कुछ चोट खाए बैठे हैं
जंगें जीत के जो बहादुर बन बैठे
वो भी कुछ खार खाए बैठे हैं
बड़ी मुद्दत के बाद जो घर लौटे हैं
हार का जश्न मनाये बैठे है
कितने मशरूफ है सुनने को आतुर
वो भी कुछ बौराये बैठे हैं
बेशर्मों की जमात तुमने देखी ही कहाँ
कुछ रिश्ते तोड़ के आये बैठे हैं
इश्क न कर पाली तूँ इस दुनिया से
लोग इसका भी मतलब बनाये बैठे हैं ……..
लोग इसका भी मतलब बनाये बैठे हैं ……..
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