A-034. किसने बुलाया Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-034. किसने बुलाया

Rating: 5.0

किसने बुलाया 20.3.16—7.32 AM

किसने बुलाया जो तुम चले आते हो
क्यूँ परेशान हो जो तुम छलक जाते हो

नीर हो नीर बन के रहो क्यूँ हक जताते हो
रिश्ता ही क्या है मुँह उठा के चले आते हो

पता है तुमको कितना दुःख पहुँचाते हो
दुनिया के सामने मुझको छोटा बनाते हो

आते हो तो दर्द होता है जिंदगी बेचैन होती है
रात को नींद नहीं आती है दिन में रैन होती है

दुनिया से कट जाने को जी चाहता है
छोटे से छोटा दर्द भी खूब सताता है

दिमाग तो काम करता ही नहीं है
तरस बिना कोई रहता भी नहीं है

तुम मुझे छोटा बना देते हो
लोगों को तुम पनाह देते हो

जब भी वो आते है……………

कुछ मीठी कुछ खट्टी सुनाते है
खुद को वो समझदार बताते हैं

मैं तो जैसे कुछ हूँ ही नहीं
सब के सब यही जताते हैं

पर एक बात है! ! ! !
जब तुम अकेले में आते हो
बड़ा शकून दे के जाते हो

सारी कड़वाहट धुल जाती है
नयी जिन्दगी निखर जाती है

प्यार की बारी आती है
हर अदा मिल जाती है

पराये भी अपने से लगते हैं
सपने भी सुनहरे से लगते है

संजीवनी का असर नज़र आता है
जीता वही जो रो कर मुस्कराता है

खुद से खुद को मिलाते हो
फिर भी कुछ नहीं जताते हो

वो तुम ही हो कोई और नहीं
तेरे जैसा कोई और सौर नहीं

वो तुम ही हो मेरे नीर हो
वो तुम ही हो मेरे हीर हो........
वो तुम ही हो मेरे हीर हो

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

Saturday, March 19, 2016
Topic(s) of this poem: motivational
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 09 April 2016

एक ही व्यक्ति के सतरंगी मनोभाव जीवन में धूप-छाँव की तरह हैं. इसे आपने सुंदर तरीके से प्रसुत किया है, अमृतपाल जी. Thanks. दुनिया से कट जाने को जी चाहता है छोटे से छोटा दर्द भी खूब सताता है पर एक बात है! ! ! ! जब तुम अकेले में आते हो बड़ा शकून दे के जाते हो

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Thank you so much for your appreciations! & comments!

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Akhtar Jawad 19 March 2016

Dil ki aag aankhon mein neer bankar chalakti hay to kutch aur ho na ho dil ka bojh to halka hota. Aapne ne badi hi sundarta se as halat ko beyan kiya hay. The poem is beautiful and amazing.

1 0 Reply

I am thankful to you. I really appreciate for taking out your time & interest! I am touched & it inspired me to create further. Thanks again!

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