A-120 एक आदत सी पड़ गयी है 21.6.16—3.36 AM
एक आदत सी पड़ गयी है
तेरे करीब आने की
तुझे छूने की तुझे पाने की
तूँ करीब आये तो तुझे सहलाने की
तूँ मुस्कराए तो मुस्कराने की
तूँ चली जाये तो
खुद को सताने की
एक आदत सी पड़ गयी है
तुझमें खो जाने की
थोड़ा कसमसाने की
तुमको बुलाने की
अँखियों में नीर भर तुम्हें दिखाने की
तेरी कमियाँ समझने की
तुझे समझाने की
एक आदत सी पड़ गयी है
तेरे बारे में जानने की
तुझे पहचानने की
गुफ़्तगू करने की तुझे पुकारने की
सोचते चले जाना घबरा जाने की
तेरे दूर जाने के व्यथा से
खुद को धिक्कारने की
एक आदत सी पड़ गयी है
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
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