A-280 तेरा मुस्कुराना Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-280 तेरा मुस्कुराना

A-280 तेरा मुस्कुराना 3.6.17- 10.21 PM

तेरा मुस्कुराना
गले से लग जाना
बातें करते जाना
जैसे कल की बात हो

तेरा आँखों को चुराना
थोड़ा सा शर्माना
ख़ुद को छिपाना
जैसे कल की बात हो

पहली मुलाक़ात में
थोड़ा सा कतराना
फिर धीरे धीरे आना
जैसे कल की बात हो

आग़ोश में गिरना
गिर के संभलना
थोड़ा सा मचलना
जैसे कल की बात हो

बात बात पर बिगड़ना
ख़ुद के दोष मढ़ना
ग़ुस्से भी दिखाना
जैसे कल की बात हो

प्यार ख़ूब जताना
चूम चूम बताना
माफ़ी इज़हार करना
जैसे कल की बात हो

Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

A-280 तेरा मुस्कुराना
Sunday, June 25, 2017
Topic(s) of this poem: love,love and friendship,relationship
COMMENTS OF THE POEM
Akashdeep Singh Sidhu 07 July 2017

Beautiful poem sir

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success